मेरी मंजिल मेरा मुकाम
कभी-कभी सोचता हूँ मैं , कि काश तू मेरे रूबरू होती तो कैसा होता | तुझको अपनी आगोश में लेकर , दुनियां से हर रिश्ता...
कभी-कभी सोचता हूँ मैं , कि काश तू मेरे रूबरू होती तो कैसा होता | तुझको अपनी आगोश में लेकर , दुनियां से हर रिश्ता तोड़ , दिल की हर बात करता मैँ | हर पहर , हर शूं सिर्फ तेरा ही ख्याल रहता है मुझको , और सोचता हूँ सिर्फ यही , काश तू...