हे शाम! तू इतनी उदास क्यों?
हे शाम! तू इतनी उदास क्यों? मैं बदहवास क्यों? मुझे भी गम है तेरे न लौट आने का, ऐ जाने वाले तुझमें इतनी मिठास क्यों?...
हे शाम! तू इतनी उदास क्यों? मैं बदहवास क्यों? मुझे भी गम है तेरे न लौट आने का, ऐ जाने वाले तुझमें इतनी मिठास क्यों? जाने वाले कब लौटे है फिर पहनू मैं वादे का लिबास क्यों? हे शाम!……!! रंग होते है हजारो — इन्द्रधनुष में सज कर प्यारे लगते है, एक दूसरे के आलिंगन...