तेरे दीदार की तमन्ना कब इस दिल को
“तेरे दीदार की तमन्ना कब इस दिल को, करीबियों से ना थी, मगर क्या हो अफ़सोस, तू ख्यालों में थी, मेरी आगोशियों में ना थी|...
“तेरे दीदार की तमन्ना कब इस दिल को, करीबियों से ना थी, मगर क्या हो अफ़सोस, तू ख्यालों में थी, मेरी आगोशियों में ना थी| लेखक: राजेश शर्मा loading…