इक चाहत-सी लिए फ़िर रहा गुस्ताख़ दिल मेरा
इक चाहत-सी लिए फ़िर रहा गुस्ताख़ दिल मेरा मतलबी जहां में यूं के दूर जाते दिख रहे वो कभी अपने थे जो… थी खुशी जिनसे...
इक चाहत-सी लिए फ़िर रहा गुस्ताख़ दिल मेरा मतलबी जहां में यूं के दूर जाते दिख रहे वो कभी अपने थे जो… थी खुशी जिनसे...
कमली मैं….!! ~~~~~~~~~~~ राह ताकती मैं बैठी एक तेरी कभी चुपके कभी छुपके कभी दबे पांव आना तेरा. मैं बेहती जाऊं धारा में तेरी प्यार...
माना कि तू खुद को जुदा कर लेगा मुझसे पर खुद को कैसे जुदा कर पाएगा मेरी यादों से।।। माना कि मैं तेरे लायक नहीं...
उदासियों की छुअन बैचेन मन ढूंढे अपनापन बेदर्द जमाने में. दिल उलझा है कुछ भी ना सुलझा है है ढूंढ़ता सुकूं बेदर्द जमाने में. है...
तू खुद को तो जुदा, कर लेगा मुझसे पर खुद को कैसे, जुदा कर पाएगा मेरी यादों से…??? लेखक: शशि रावत loading…
कभी धुंधला सी गईं यादें तेरी कभी हमने ना देखा, तस्वीर को तेरी कुछ उलझ सा गया था तुझमें ही, बन तुझ जैसा. जब भी...
जब भी कदम उनके घर की दहलीज पर पड़ती होगी सच कहूं वो याद मुझे करती होंगी जिस दहलीज पर हाथों में हाथ डाल हम...
है खामोशियों का दौर अपना कोई नहीं है जागता मैं तन्हा यहां संग मेरे कोई नहीं है है विरह में बहते आंसू मेरे अपना कहने...
एक पहेली जिंदगी बनी है काफिर उधेड़बुन काफी है ज़ेहन में मेरे ना मिल रही निशान मंजिल की रास्तों के सफर में फासले काफी हैं...
काश! वो इंसान मुझे मिल जाए, जिंदगी कहीं सी हो जाए, हम उनमें ऐसे बस जाए, कि ख्वाबों में भी जुदा न हो पाए…..!! लेखक:...