इक चाहत-सी लिए फ़िर रहा गुस्ताख़ दिल मेरा
इक चाहत-सी लिए फ़िर रहा गुस्ताख़ दिल मेरा मतलबी जहां में यूं के दूर जाते दिख रहे वो कभी अपने थे जो… थी खुशी जिनसे...
इक चाहत-सी लिए फ़िर रहा गुस्ताख़ दिल मेरा मतलबी जहां में यूं के दूर जाते दिख रहे वो कभी अपने थे जो… थी खुशी जिनसे बेरंग दुनिया में अपनी कुछ साथ तेरा भी तो था के, अपनों में इक नाम तेरा भी तो था. फिर डराएंगी यादें वो पूरानी के, दुखों का कहर फिर बरपेगा...