हम भी हैं…!!!
है खामोशियों का दौर अपना कोई नहीं है जागता मैं तन्हा यहां संग मेरे कोई नहीं है है विरह में बहते आंसू मेरे अपना कहने...
है खामोशियों का दौर अपना कोई नहीं है जागता मैं तन्हा यहां संग मेरे कोई नहीं है है विरह में बहते आंसू मेरे अपना कहने वाला कोई नहीं है है तन्हाइयों में झुलसती मेरी बदन दुख में संग मेरे कोई नहीं है बीते लम्हों की यादें हैं आतीं यादों में तेरे सिवा कोई नहीं है...