“विल यू बी माई वेलंटाईन”?
हाँ ।।।
श्यामली उठ। जल्दी उठ। देख 12 बज गए। वेलंटाईन डे शुरू हो गया।
क्या हुआ? रिचा। सोने दे न! आँख मलते हुए।
अरे बाहर आ के देख। गाने चल रहे हैं। रिचा ने कहा।
आज वेलंटाईन डे हैं। तो होटल में चल रहे होगें। तो तू मेरी नींद क्यों खराब कर रही हैं?
अच्छा तेरा भी तो वो दोस्त हैं ना? आज तुझे कहीं लेकर नहीं गया वो? रिचा ने कहा।
उसे तो फुर्सत ही नहीं हैं खुद से। वो कहाँ मुझे लेकर जाएगा। मुझे तो लगता हैं कि उसे याद भी नहीं हैं कुछ। श्यामली ने कहा।
अच्छा अभी सपने में तो उसी को पुकार रही थी तू। रिचा ने हँसते हुए कहा।
सपनों और हकीकत में बहुत फर्क होता हैं। हकीकत हमें जिंदगी की सच्चाई बताते हैं। अगर सपने सच होने लग गए तो किसी इंसान को कोई कमी नहीं रहेगी कभी रिचा।
अरे तू तो सीरियस हो गई श्यामली। तेरा श्यामली नाम जिसने भी रखा हैं बिल्कुल सही रखा हैं। पुराने जमाने वाला नाम और वैसी ही सोच। रिचा ने हँसते हुए कहा। चल छोड़ ये सब। अब तो नींद भी नहीं आ रही रिचा।
मुझे तो वैसे भी नहीं आ रही थी नींद पहले से श्यामली।
तुझे कुछ आवाज़ सुनाई दी वैसे? श्यामली ने कहा।
हाँ, शायद कोई आया हैं। लेकिन इस समय कौन आ सकता हैं ? रिचा ने हैरान होते हुए कहा।
जा देख जा के। कौन है?
रिचा दरवाजे की और जाती हैं। और दरवाजा खोलती हैं।
तुम इस समय? ये कोई टाईम हैं आने का?
मुझे श्यामली से मिलना हैं, उससे कुछ बात करनी हैं।
कौन हैं रिचा। श्यामली पूछती है।
दरवाजा खुल जाता हैं और एक लड़का अंदर आता हैं।
कृष तुम। इस वक्त? श्यामली हैरान हो जाती हैं।
मुझे तुमसे कुछ बात करनी हैं श्यामली।
लेकिन मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी। श्यामली परेशान होकर कहती हैं।
मुझे अभी करनी हैं तुमसे बात। समझ नहीं आता तुम्हें? कृष काफी गुस्से में कहता हैं।
तुम आखिर चाहते क्या हो कृष? कि मैं मर जाऊँ। तुम मुझे जिंदगी जीने क्यों नहीं देते चैन से? श्यामली की आँखों में आँसू आ जाते हैं।
मुझे तुमसे कुछ बात करनी हैं। कृष ने कहा।
लेकिन वो बीमार हैं कृष। रिचा ने कहा।
रहने दो रिचा। आज आखिर सब खत्म हो जाएगा। मैं भी तो देखूं जरा और कितने रंग बाकी है देखने को। इतना कहते हुए श्यामली बेड से उठने लगती
हैं लेकिन कमजोरी के कारण नहीं उठ पाती।
मैं तुम्हें कुछ मदद करूं? कृष ने कहा।
हाँ जरूर। थोड़ा जहर ला के दे दो। दे सकते हो तो। वैसे भी जी के क्या करना। ऐसे जीने से तो मर जाना ही बेहतर हैं। इतना कहते ही वो फिर से उठने की कोशिश करती हैं और इस बार उठने में कामयाब हो जाती हैं वो।
तो कहाँ चलना हैं अब। श्यामली परेशान होते हुए कहती हैं।
नीचे चलो। कृष कहता हैं।
श्यामली धीरे धीरे नीचे उतरती हैं। कृष भी पीछे से आ रहा होता हैं। वो उसे एक बैंच के पास लेकर जाता हैं।
तुम चाहो तो बैठ सकती हो यहां ? कृष ने कहा।
नहीं मैं ऐसे ही ठीक हूँ। श्यामली ने परेशान होते हुए कहा।
बैठो इधर तुम। कृष उसे बैठाता हैं।
हाँ तो तुम्हें क्या बात करनी थी? श्यामली ने कहा।
कृष अपने घुटनों के बल नीचे जमीन पर श्यामली के सामने बैठ जाता हैं। उसका हाथ अपने हाथ में रखता हैं। लेकिन श्यामली अपना हाथ हटा लेती हैं।
कृष वापिस से उसका हाथ अपने हाथ में रखता हैं।
श्यामा,(जो कि कृष ने श्यामली का नाम प्यार से रखा हुआ था) विल यू मेक माई वेलंटाईन?
नो! रोते हुए ऐसा कह कर श्यामली उठ कर जाने लगती हैं। लेकिन पीछे से कृष उसका हाथ पकड़ लेता हैं। और उसे बैंच पर बैठा देता हैं। तब तक श्यामली आपने आँसू पोंछ लेती हैं।
सुनो श्यामा। मुझे पता हैं कि मैंने तुम्हें बहुत परेशान कर रखा हैं। मेरी वजह से हमेशा परेशान रहती हो तुम। मैंने तुम्हें आज तक कोई भी खुशी नहीं दी हैं। जिसकी तुम हकदार हो। और शायद मैं ही तुम्हारे लायक नहीं हूँ। मैंने तुम पर शक किया बेवजह। मुझे रिचा ने सब बता दिया हैं। तुम तो सिर्फ उसकी मदद कर रही थी। और मैंने कुछ और ही समझ लिया।
और कृष आगे की तरफ मुड़ जाता हैं।
मुझे पता हैं कि मुझसे गलती हुई हैं। लेकिन तुम मेरी गलती की सजा खुद को क्यों दे रही हो? खुद को देखो। क्या हाल बना लिया तुमने अपना। मैं बस तुमसे माफी माँगना चाहता हूँ। और क्या फिर से हम नई शुरूआत कर सकते हैं। ऐसा कहते हुए वो पीछे मुड़ता हैं लेकिन वो हैरान रह जाता हैं । श्यामली तो बेहोश हो चुकी होती हैं।
अगले दिन-
बीमारी के कारण बेहोश हो गई थी तू रिचा ने कहा।
श्यामली बेड से उठती हैं।
लेट जा तू। कृष को पता चला न कि तू बेड से उठ गई थी वो मार देगा मुझे। रिचा ने कहा।
कृष कहा हैं? श्यामली ने पूछा।
वो दवाई लेने गया हैं। तुम्हारी दवाईयाँ खत्म हो गई थी न इसलिए। रिचा ने कहा।
तूने कृष को बताया था सच? श्यामली ने पूछा ।
हाँ, मैंने बताया था। मैं नहीं चाहती थी कि मेरी वजह से कुछ गलत हो तुम्हारे बीच में ।लो कृष भी आ गया। रिचा ने हँसते हुए कहा।
कृष आ कर श्यामली के सामने बैठ जाता हैं।
अब कैसी हो तुम? कृष ने पूछा।
ठीक हूँ अब तो। श्यामली ने कहा।
मेरी वजह से तुम्हें बहुत कुछ सहना पडा। हैं ना? कृष ने पूछा।
नहीं ऐसा नहीं हैं। और श्यामली रोने लगती हैं।
ये क्या हैं श्यामा! मैं जितना सोचता हूँ कि तुम्हें खुश रँखूगा तुम तो रोने लग गई। अगर ऐसा हैं तो मैं यहाँ से चला जाता हूँ। और कृष जाने लगता हैं।
लेकिन श्यामली उसे रोक लेती हैं।
नहीं ऐसा नहीं है। श्यामली ने कहा।
कृष फिर से उसके सामने बैठ जाता हैं।
“सो विल यू बी माय माई वेलंटाईन” ? कृष ने पूछा।
यस, आई विल मेक यू माई वेलंटाईन….!!!
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