मानसिकता बदलिए,बच्चों को पालना, घर चलाना केवल महिलाओं की जिम्मेदारी नही: राष्ट्रपति

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नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि इस मानसिकता को बदले जाने की जरूरत है कि बच्चों को पालना और घर चलाना केवल महिलाओं की जिम्मेदारी है। महिलाओं को परिवार से अधिक सहयोग मिलना चाहिए, जिससे वे बिना किसी बाधा के अपने करियर में सर्वोच्च पद पर पहुंच सकें।

राष्ट्रपति ने गुरुग्राम में ब्रह्माकुमारी संस्था के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में मूल्य निष्ठ समाज की नींव महिलाएं विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। राष्ट्रपति ने कहा कि समाज में महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार अपना दायित्व निभा रही है। प्रत्येक व्यक्ति को नारी शक्ति का सम्मान करते हुए उनकी कार्यशैली से प्रेरणा लेनी चाहिए। महिलाओं को जब भी अवसर मिला, उन्होंने खुद को साबित किया। महिलाओं के सशक्तिकरण से ही परिवार सशक्त होंगे और सशक्त परिवार ही सशक्त समाज एवं राष्ट्र का निर्माण करेंगे। विज्ञान, कला, शिक्षा, इंजीनियरिंग या राजनीतिक क्षेत्र हो, महिलाओं ने हर स्तर पर अपनी कामयाबी के झंडे बुलंद किए हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि बच्चों के लिए मां पहली गुरु और शिक्षक होती है, जो उन्हें संस्कारवान बनाती है। हमने धरती को भी माता का दर्जा दिया है, लेकिन आधुनिक युग में पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। इसके लिए सभी को सजग होने की जरूरत है। इस पहल में महिलाएं अहम भूमिका निभा सकती हैं। महिलाएं ही समाज में बदलाव ला सकती है।

भारत दुनिया में अग्रणी भूमिका निभा रहा
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत जी-20 की अध्यक्षता करते हुए सामाजिक और आर्थिक उत्थान में अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहा है। संस्कारों के समावेश के साथ भारत की पहचान दुनिया में कायम हो रही है। देश निरंतर बदल रहा है। आज आर्थिक समृद्धि के साथ विश्व के 5वें पायदान पर भारत दुनिया में अग्रणी बन रहा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि मैं ब्रह्माकुमारीज संस्थान को बहुत करीब से जानती हूं। इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय को अपना घर, बाबा का घर समझती हूं। उन्होंने माउंट आबू का जिक्र करते हुए कहा कि साल की शुरुआत में ही वहां जाने का मौका मिला। उन्होने कहा कि वहां मुझे असीम ऊर्जा और शांति की अनुभूति हुई।

नैतिक मूल्यों के समावेश में महिलाओं की अहम भूमिका
सेमिनार को संबोधित करते हुए हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि आज समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना और सुधार में महिलाओं की अहम भूमिका है। हमारे शास्त्रत्तें में नारी को देवी का स्वरूप मानते हुए कहा गया है। जहां नारी का सम्मान होता है, वहां देवता निवास करते हैं।

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