“रोज डे” की ‘रोज’ की और मेरी कहानी एक जैसी ही है…
गुलाब को और मेरे प्यार को मैं अपने लफ्जों में बयां कर रहा हूं…
सुर्ख गुलाब सी हो तुम,
कोई गम नहीं मुझे मैं कांटों सा रहूं,
मुझे खुशी इस बात की है…
मैं तेरे संग तो हूं.
कोई आना भी जो चाहे करीब तेरे,
मैं तुम्हें छूने ना दूं.
रही बात खुशियों की,
जब संग तू रहे
मैं झूमता रहूं.
मुझे तुम ही तुम दिखाई देती हो
जब-जब आंखें खोलूं मैं.
मुझे तेरी ही सिर्फ ‘हां-हां’ चाहिए
जब-जब बोलूं मैं.
तुम्हें सीने में छुपाकर रख लूं मैं
सांस बनाकर…
मेरे साथ-साथ चलती रहे
तू राह बनाकर…
मेरी उम्र बीत जाये
तेरे संग बिताकर.
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