आज रोज़ डे हैं, जानती हो तुम।
हाँ, यार पता हैं मुझे। मैं भला इस दिन को कैसे भूल सकती हूँ। ये दिन मेरी जिंदगी के उन लम्हों में से हैं, जिन्हें मैं भूलाना भी चाहूं तो नहीं भूला सकती।
अच्छा, तो ये बात हैं आखिर?
हाँ, यहीं बात हैं।
फिर वो दोनों अतीत की यादों में खो जाते हैं।
तमन्ना पढा़ई में होशियार। घर के काम-काजों में निपुण। हर चीज़ में आगे। बस एक चीज़ में पीछे रह जाती। जिंदगी की चहलकदमी में। पैरों में लकवा। बचपन में सब ठीक था। पर जैसे ही जवानी में पैर रखने की बारी आई तो पैरों ने चलना ही छोड़ दिया। डाक्टरों से दवाईयाँ तो चल ही रही थी। साथ में अलग अलग लोगों द्वारा बताए गए तेलों से मालिश। लेकिन उसके माँ-बाप ने कभी उसे हौसला नहीं छोड़ने दिया। और इसी हौसले के कारण वो भी आगे बढ़ती गई। उसने भी माँ-बाप का सर ऊँचा रखा। लेकिन हाए! रे ये जा़लिम दुनिया और इस में रहने वाले लोग। बेटी बडी़ हो रही हैं अब इस से कौन शादी करेगा? अलग-अलग लोगों की तरह-तरह की बातें। माँ-बाप को भी फिर उसके आने वाले कल की फिक्र हो जाती। लेकिन उसे कुछ कहते नहीं। आखिर बेटी तो बेटी ही होती हैं। माँ-बाप का दर्द तो दिख ही जाता हैं। फिर ऐसे ही एक दिन उसके पैरों में हरकत हुई। माँ-बाप को बडी़ खुशी हुई। डाक्टर ने कहा कि ठीक भी हो सकती है अच्छे से। बस ईलाज जारी रखना और मालिश करते रहना। माँ-बाप को सुकून मिला ये सब सुनकर। तमन्ना को भी थोड़ी राहत मिली। तमन्ना के माँ-बाप उसके लिए रिश्ता देखने लग गए। लड़के वालों को लड़की पसंद थी। शादी भी तय हो गई। सब कुछ अच्छे से हो रहा था। आखिरकार शादी का दिन आ ही गया। चारों तरफ तैयारी चल रही थी। फेरे के कुछ समय पहले लड़के वालों ने 15 लाख रूपये की शर्त रखी।अचानक से इतने पैसों का इंतजाम आसानी से नहीं हो सकता था। सो लड़के वाले वहाँ से चले गए बिना शादी के। तमन्ना के पिताजी काफी परेशान हो गए शादी के मंडप पर। अब कौन शादी करेगा मेरी बेटी से? सर पर हाथ रख करा उसके पिताजी रोते हुए बोले।
मैं करूंगा शादी। भीड़ में से आवाज आई। सब उस शख्स को देखने लग गए। तमन्ना ने भी देखा। वो तो तरूण था तमन्ना के स्कूल का दोस्त। 12वीं तक साथ में पढे़ थे। अंकल अगर आपको कोई एतराज ना हो तो मैं करना चाहता हूँ शादी तमन्ना से।
लेकिन मुझे एतराज हैं तमन्ना ने कहा।
तुम्हें क्या एतराज हैं तमन्ना? उसके पिता ने कहा। और उसे और तरूण को अंदर ले गए।
पापा मैं नहीं चाहती कि कोई मेरे से शादी मेरे पर तरस खा के करें। तरूण तो बाहर देश रहता हैं, उसे लड़कियों की कमी नहीं हैं। तो ये मुझ अपाहिज से शादी क्यों करना चाहता हैं ?
अंकल, तमन्ना सही कह रही हैं, मेरे लिए लड़कियों की कमी नहीं हैं। और मैं किसी से भी शादी कर सकता हूँ। लेकिन प्यार तो सबसे नहीं कर सकता ना? हाँ , मैं इसे पहले से पसंद करता हूँ। और जानता भी हूँ इसे। और तुम अपाहिज नहीं हो सुना तुमने। तुम्हारा ईलाज हो सकता हैं।
और अगर ईलाज के बाद भी ठीक नहीं हुई तो?
तो क्या हुआ तमन्ना? तुम पढी़- लिखी हो, और तब भी तुम ऐसी बातें कर रही हो? तुम्हें अच्छे से पता हैं कि मैं इन सब चीजों में विश्वास नहीं रखता।
बेटी, अब मान भी जाओ ना। हम सब तरूण को बहुत पहले से जानते हैं। अच्छा लड़का हैं। तुम इसके साथ खुश रहोगी।
ठीक हैं पापा। जैसे आपकी मर्जी।
और आखिरकार उन दोनों की शादी हो जाती हैं। तमन्ना तरूण के साथ विदेश चली जाती हैं।
तो तुम मुझसे शादी क्यों नहीं करना चाहती थी? तरूण ने पूछा।
मैं किसी पर बोझ नहीं बनना चाहती थी। तमन्ना ने कहा।
तुम और मुझ पर बोझ? ऐसा सोचती थी तुम मेरे बारे में ?
नहीं, वो तो उस समय मेरे पैरों के कारण।
क्या उस समय? ऐसा कहते हुए तरूण तमन्ना के पैर में गुदगुदी करता हैं।
छोडो़ तरूण, गुदगुदी हो रही हैं। ऐसा कहते हुए तमन्ना अपना पैर हटा लेती हैं।
ये देखो, मैंने तुम्हें गुलाब का फूल दिया था। जब तुम्हारे पैर अच्छे से ठीक हो गए थे। तरूण ने कहा।
हाँ? याद है मुझे अच्छे से। इसी दिन तो तुम मेरी जिंदगी में आए। एक साल बाद इसी दिन मेरे पैर भी ठीक हो गए। और तुम्हारे दिए हुए इस गुलाब की तरह मेरी जिंदगी भी गुलजा़र हो गई।
तुम्हारी नहीं हमारी जिंदगी गुलजा़र हो गई…..!!
और चारों तरफ फिजा़ओ में भीनी-भीनी खुशबू छा गई गुलाब के फूलों की तरह।।।