नई दिल्ली। अमेरिका के हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप को हिलाकर रख दिया है। अडानी समूह के शेयरों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। फॉरेंसिक फाइनेशियल रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग के बाद अब कांग्रेस ने भी कई सवाल दागते हुए RBI-SEBI से जांच की मांग की है। हालांकि ग्रुप ने पहले ही इस रिपोर्ट का खंडन किया है।
कांग्रेस नेता ने कहा, ”हम अडानी समूह और वर्तमान सरकार के बीच घनिष्ठ संबंध को पूरी तरह से समझते हैं। मगर, एक जिम्मेदार विपक्षी पार्टी के रूप में कांग्रेस पर ये निर्भर है कि वो व्यापक जनहित के लिए सेबी और आरबीआई से वित्तीय प्रणाली के प्रबंधक के रूप में अपनी भूमिका निभाने और इन आरोपों की जांच करने का आग्रह करे।” जयराम रमेश ने कहा कि मोदी सरकार सेंसरशिप लागू करने की कोशिश कर सकती है। मगर, भारतीय व्यवसायों और वित्तीय बाजारों के वैश्वीकरण के युग में क्या हिंडनबर्ग-प्रकार की रिपोर्टें को आसानी से ‘दुर्भावनापूर्ण’ करार देकर खारिज कर दिया जा सकता है, जो कॉर्पोरेट ‘कुशासन’ पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
रिसर्च फर्म ने दी चुनौती
अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से जारी बयान में Hindenburg ने कहा है- अगर अडानी समूह रिपोर्ट के खिलाफ अमेरिका की अदालत में मुकदमा दायर करता है तो रिसर्च फर्म दस्तावेजों की मांग करेगा। अगर अडानी समूह गंभीर है, तो उसे अमेरिका में भी मुकदमा दायर करना चाहिए, जहां हम काम करते हैं। कानूनी खोज प्रक्रिया में हमारे पास दस्तावेजों की एक लंबी सूची है। हम पूरी तरह से अपनी रिपोर्ट पर कायम हैं, हमारे खिलाफ कोई भी कार्रवाई बेकार होगी। हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि कंपनी फॉरेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च में माहिर है। रिसर्च फर्म को इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव एनालिस्ट पर एतेहासिक रिसर्च के साथ ही इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट इंडस्ट्रीज में दशकों का अनुभव है। रिसर्च कंपनी ने वेबसाइट पर लिखा है, “जब हम अपने निवेश निर्णय लेने में सहायता के लिए एनालिस्ट्स का उपयोग करते हैं, तो हमें कई स्रोतों के जरिए कठिन-से-कठिन जानकारी को भी सामने लाने के लिए प्रभावशाली रिसर्च रिपोर्ट मिलते हैं।”
अडानी ग्रुप ने खारिज किए आरोप
अडानी ग्रुप ने इस आरोप को दुर्भावनापूर्ण, निराधार, एकतरफा बताया और कहा कि उसके शेयरों की बिक्री को बर्बाद करने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से ये आरोप लगाए गए हैं। अडानी ग्रुप ने कहा कि तथ्यात्मक मैट्रिक्स हासिल करने के लिए उससे संपर्क करने की कोई कोशिश नहीं की गई। इसके बिना ही सामने आई हिंडनबर्ग फर्म की रिपोर्ट स्तब्ध करने वाली है। पोर्ट-टू-एनर्जी समूह ने एक बयान में कहा, ”रिपोर्ट चुनिंदा गलत सूचनाओं, निराधार और बदनाम आरोपों का एक दुर्भावनापूर्ण संयोजन है। इसे भारत की सर्वोच्च अदालतों ने जांच के बाद खारिज कर दिया है।”
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