आज विप्लव की शादी हैं। और मुझे खुशी हैं कि आखिरकार उसकी शादी हो गई। जो उसको मिलना चाहिए था, या फिर जिसके काबिल वो था वो सब मिल जाएगा।
ये सब सोचते हुए रूचिका के आँखों से आँसू आ गिरे। मेरे ये आँसू क्यों आ रहे है ? आखिर जो सोचा था वहीं हो रहा हैं, इसमें कुछ गलत तो नहीं हैं। और हमने यही राह चुनी थी। रूचिका अतीत के ख्वाबों में खो गई ।
विप्लव तुम्हें तो पता हैं कि हमारी शादी नहीं हो सकती। तो तुम्हें आज ये फैसला लेना ही पडे़गा।
हूँ, कल सुबह बताऊंगा तुम्हें जवाब।
विप्लव को नींद नहीं आई उस रात। सारी रात रोता रहा। जो भी पल उसने रूचिका के साथ बिताए थे, उन्हें याद करता रहा। आखिरकार सुबह हो ही गई।
और विप्लव ने हाँ में जवाब दिया।
ऐसे ही एक दिन रूचिका ने विप्लव से कहा। अब तो तुम पर मेरा कोई हक ही नहीं हैं।
मुझ पर तुम्हारा हमेशा हक रहेगा। विप्लव ने कहा।
नहीं यार, शादी के बाद तो तुम्हारी पत्नी का हक होगा तुम पर। मेरा नहीं। रूचिका ने कहा।
ना! मेरे मरने दम तक तुम्हारा सिर्फ तुम्हारा हक रहेगा मुझ पर और मेरे शरीर पर। विप्लव ने उदास होते हुए कहा।
मरने वरने की बात नहीं, वरना कभी बात नहीं करूँगी तुमसे। रूचिका ने कहा।
ऐसे ही एक दिन रूचिका विप्लव से पूछती। तुम मुझे शादी के बाद भूल जाओगे ?
नहीं यार। कभी नहीं। तुम्हें पता हैं राधा एक दिन कृष्ण से क्या पूछती। विप्लव ने कहा।
क्या ?
पूछती कि हमारी शादी कभी क्यों नहीं हो सकती? तो कृष्ण जी ने पता हैं क्या कहा।
क्या कहा ? रूचिका ने पूछा।
उन्होंने कहा कि शादी तो दो इंसानों की होती हैं राधे। और हम तो कभी दो थे ही नहीं।
मगर वो तो भगवान थे विप्लव। रूचिका ने कहा।
हाँ, तो क्या हुआ? इंसान भी तो भगवान से ही सीखते हैं ना ? विप्लव ने कहा।
हाँ , मेरे बाप। रूचिका ने हँसते हुए कहा।
विप्लव भी हँसने लगा।
पर एक बात जरूर हैं विप्लव कि कम से कम हमारे घरवाले तो खुश रहेंगे। और बाद में ये तो नहीं कहेंगे कि तुम्हारी गलती थी। रूचिका ने कहा।
हाँ ? ये तो सही कहा तुमने। विप्लव ने कहा।
मैं हमेशा सही ही कहती हूँ। रूचिका ने कहा।
हाँ भाई। विप्लव ने हँसते हुए कहा।
ये सब सोचते हुए रूचिका को कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।
“हर मुहब्बत मुकमल हो जाए ये जरूरी तो नहीं,
हर सच्चे प्यार को शादी की जरूरत तो नहीं,
मिल जाए खुदा तो इबादत की जरूरत नहीं,
हासिल करना ही तो सच्चा प्यार नहीं…..!!”
ये शब्द रूचिका की डायरी में लिखे हुए आखिरी शब्द की तरह थे।।।
PC: Rora Elisabeth (Flikr)