“इक सुबह ऐसी भी आएगी,
जब अंधेरों की चादर ओढ़े ,
रोशनी मरे गले लग जाएगी |
बेखुदी से प्यार करूँगा मैं उसको ,
जब उसकी गर्म सांसें ,
मेरी गर्म सांसों में समा जाएंगी |
हाँ मुझे इश्क है उस रौशनी से ,
जिसके लिए उम्र का इक दौर गुजारा है मैने ,
हर किसी से रिश्ता तोड़ा है ,
हर किसी से मुंह मोड़ा है मैंने ,
आखिर कब तक मुझसे दूर जाएगी |
ज़माने से हट कर चाहा है उसको मैंने ,
बरसों से इन्तजार किया है उसका मैंने ,
आज नहीं तो कल , वो मेरे करीब जरूर आएगी |
पूछुंगा उससे बाहों में लेकर उसको ,
सबक जुदाई का उसकी ,
आखिर कब तक वो मुझसे शर्माएगी |
इक सुबह ऐसी भी आएगी ,
जब अंधेरों की चादर ओढ़े ,
रोशनी मेरे गले लग जाएगी|
PC: Claudia Cosentino