वो तसव्वुर आसमाँ झुक गया आपकी खूबसूरती पर,
हाल-ए-बयां करने लगा झूम कर वो.
मुसलसल होती रही बारिश प्यार की,
मुहब्बत भीगने लगी आगोश में तेरी.
मेहकी हवा, उजली किरण बयां करने लगी खूबसूरती तेरी,
चमकता हीरा हो तुम कोई कोहिनूर जैसी.
ये गगन, ये चमन ने तुम्हें क्या खूब है कहा,
ना देखा तुम सा इस जहां में कोई.
तुम्हें देख चांद भी था सरमाया, कहने लगा…
तुम्हारे आगे फीकी है चाँदनी मेरी.
तुम्हारी चाल ऐसी की मानो,
हजारों हिरणें मात खा जाये तुम्हें चलता देख कर.
ना जाने कितनी फुर्सत से बनाया होगा बनाने वाले ने तुम्हें,
खूबसूरती देख वो भी फिदा हो गया होगा तुम पर.
आगोश की नदियां भी है बेताब सुकूं के समंदर के लिए,
डूब जाने दो उसे भी तेरे साथ के लिए.
प्यार की कश्ती, बाहों का सहारा मिले तेरा,
डूबता कतरा हूँ मैं बैचैन समंदर में.
बेताबियों को कह दो जरा दूर ही रहे मुझसे,
सोया हुआ हूँ मैं आगोश में प्यार की तेरे.
चाहत की हवा मंद-मंद बहती ही जा रही,
तेरे साथ होने की है खुश्बू फैला रही.
ये उम्र, ये तकाज़ा सारे हैं दीवाने तेरे,
आये जो हैं छिप कर वक्त से तेरी झलक पाने को.