आसमां से कह दे यूं ही बरसते रहे
गम का सूखा वर्षों का मिट जायेगा.
ख्वाहिशों के बादल उमड़ पड़े हैं
कह दे खुशी को बरसते रहें.
बाहर निकल आओ दुखी मन के घरौंदे से
कब तक छिपाते रहोगे दर्द मरासिम पुराने.
छड़ भर की है बारिश खुशी की
वक्त का क्या दुख की साया ला दे।
मनचला जो हुआ जा रहा विचलित मन
उसे भी भिगो दे बारिश में खुशी की.
बनने दे तालाब आँसूओं के
भारी था दुखी दिल अब खाली पड़ा है.
परेशान मन को डर है सैलाब का
भीगो देना उसे भी बारिश में खुशी की.
तन्हा सफर होगा राही
चलते ही जाना पाँव जमाये.
मन के शोले भड़कायेगा जमाना
जमीं भी तेरी राह भी तेरा.
गर अरमानों के शाम ढलने को आये
सूरज को सोने देना चाँद जाग जायेगा.
गर ख्वाहिश हो उड़ान भरने की
मांझा हाथ में रखना कटी पतंग ना बनना.
जब तक हो अकले ही चलना
आवारा संगत कभी ना करना.
गर मिले हमराही राह में दीपक की तरह
ख्वाहिशों का दिया बुझने ना देना.
डूबने ना देना नाव तुम देखो
मांझी भी तुम हो पतवार तुम्हारा.
पार करना मंजिल हिम्मत ना खोना
देखना मिलेगी मंजिल विहार जैसा ।