अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो के बीच बढ़ते तनाव के बीच, पनामा ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के साथ 2017 में किए गए समझौते को नवीनीकरण से इनकार कर दिया है। यह कदम अमेरिकी दबाव का परिणाम माना जा रहा है, जब ट्रंप प्रशासन ने पनामा को चेतावनी दी कि अगर उसने पनामा नहर पर चीन का प्रभाव कम नहीं किया, तो उसे अमेरिका से संभावित प्रतिशोध का सामना करना पड़ सकता है।
पनामा और चीन का बढ़ता संबंध
पनामा नहर, जो वैश्विक व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण जलमार्ग है, लंबे समय से अमेरिकी नियंत्रण में था, लेकिन 1999 में एक ऐतिहासिक संधि के तहत इसे पनामा के हवाले कर दिया गया था। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में चीन ने इस क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ाया है, और पनामा ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में शामिल होकर अमेरिका के लिए चिंताएं पैदा कर दी हैं। बीआरआई, चीन द्वारा वैश्विक बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए एक विशाल परियोजना है, जिसे आलोचक चीन की आर्थिक और राजनीतिक पकड़ को मजबूत करने के तौर पर देखते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति की धमकी
राष्ट्रपति ट्रंप ने बार-बार पनामा को चेतावनी दी है कि अगर वह पनामा नहर पर चीन का प्रभाव नहीं कम करता है, तो अमेरिका उसे “बहुत शक्तिशाली” तरीके से जवाब देगा। उन्होंने हाल ही में कहा, “पनामा ने समझौते का उल्लंघन किया है और चीन को नहर का नियंत्रण दे दिया है। इसे पनामा को दिया गया था, न कि चीन को। अगर इसे वापस नहीं लिया गया, तो हम कुछ बहुत शक्तिशाली कदम उठाएंगे।”
ट्रंप की यह धमकी पनामा और अमेरिकी रिश्तों में एक नई तकरार का संकेत देती है। उनका आरोप है कि पनामा ने चीन के साथ अपनी संधि का उल्लंघन किया और इसके परिणामस्वरूप अमेरिका को अपनी संप्रभुता और रणनीतिक हितों की रक्षा करनी पड़ेगी।
पनामा की प्रतिक्रिया
हालांकि, पनामा सरकार ने ट्रंप के आरोपों का जोरदार खंडन किया है। पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने कहा कि पनामा नहर का प्रबंधन पनामा के अधिकार में है और इसे लेकर अमेरिका की संप्रभुता पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता। उन्होंने कहा, “अमेरिका की धमकियों के बावजूद पनामा की संप्रभुता पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। हम अपने हितों की रक्षा करेंगे और किसी के दबाव में नहीं आएंगे।”
मुलिनो ने यह भी बताया कि मार्क रूबियो, जो अमेरिकी विदेश मंत्री के रूप में पनामा यात्रा पर थे, ने नहर को लेकर अमेरिका की चिंता को पनामा के सामने रखा। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि रूबियो ने नहर के संचालन को चीन के हवाले करने को लेकर “बल प्रयोग” या सैन्य धमकी नहीं दी थी।
बीआरआई और पनामा की रणनीति
पनामा ने 2017 में चीन के बीआरआई के तहत बुनियादी ढांचे के विकास के लिए समझौता किया था, जिससे अमेरिकी अधिकारियों में चिंता पैदा हो गई थी। बीआरआई के आलोचक कहते हैं कि यह परियोजना विशेष रूप से गरीब देशों को भारी ऋण में डुबो देती है और चीन को इन देशों के राजनीतिक और आर्थिक मामलों में अधिक प्रभावशाली बना देती है। पनामा ने ताइवान की कूटनीतिक मान्यता को भी छोड़कर चीन के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया, जिससे अमेरिका को और अधिक चिंता हुई।
अमेरिका का आरोप है कि पनामा ने चीन को पनामा नहर पर प्रभाव बनाने का अवसर दिया है, जो वैश्विक व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण जलमार्ग है। अमेरिका ने संकेत दिया है कि अगर पनामा ने इस स्थिति को ठीक नहीं किया, तो वह “संधि के तहत” अपने हितों की रक्षा करने के लिए सैन्य कदम उठा सकता है।
अमेरिका का स्पष्ट संदेश
अमेरिकी विदेश विभाग ने रूबियो और मुलिनो की बैठक के बाद एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि विदेश मंत्री ने पनामा को स्पष्ट रूप से बताया कि “यथास्थिति अस्वीकार्य” है। अमेरिका ने यह भी चेतावनी दी कि यदि पनामा ने जलमार्ग पर चीन का प्रभाव कम करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया, तो अमेरिका को अपने हितों की रक्षा के लिए कदम उठाने का अधिकार है।
पनामा नहर को लेकर चल रहा यह विवाद केवल दो देशों के बीच नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन से भी जुड़ा हुआ है। चीन का बढ़ता प्रभाव, विशेष रूप से बीआरआई के तहत, अमेरिकी हितों को खतरे में डाल सकता है। ट्रंप के धमकियों के बावजूद पनामा सरकार ने अपनी संप्रभुता की रक्षा करने का संकल्प लिया है। अब यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में पनामा और अमेरिका के रिश्ते किस दिशा में आगे बढ़ते हैं और क्या पनामा नहर पर अमेरिका का प्रभाव फिर से बढ़ेगा या नहीं।
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