“तेरे दीदार की तमन्ना कब इस दिल को,
करीबियों से ना थी,
मगर क्या हो अफ़सोस,
तू ख्यालों में थी,
मेरी आगोशियों में ना थी|
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“तेरे दीदार की तमन्ना कब इस दिल को,
करीबियों से ना थी,
मगर क्या हो अफ़सोस,
तू ख्यालों में थी,
मेरी आगोशियों में ना थी|