अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय विकास के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका एजेंसी (USAID) में बड़े पैमाने पर छंटनी की योजना बनाई गई है। इस फैसले के तहत 10,000 से अधिक कर्मचारियों में से केवल 294 को ही अपने पदों पर बनाए रखने की योजना है। इस निर्णय से दुनिया भर में मानवीय और आर्थिक सहायता पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है।
छंटनी का असर: एशिया और अफ्रीका ब्यूरो पर गहरी मार
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस छंटनी के बाद अफ्रीका ब्यूरो में मात्र 12 और एशिया ब्यूरो में केवल 8 कर्मचारी ही कार्यरत रहेंगे। इस प्रकार, इन दोनों महाद्वीपों में विकास परियोजनाओं और मानवीय सहायता अभियानों को गंभीर झटका लगने की संभावना है।
पूर्व USAID प्रमुख जे. ब्रायन एटवुड ने इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि इतनी बड़ी संख्या में कर्मचारियों को हटाने से दुनिया भर में लाखों लोगों की जान को खतरा हो सकता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, सैकड़ों कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों की नौकरी जा चुकी है और कई महत्वपूर्ण जीवन-रक्षक योजनाएं ठप हो गई हैं।
USAID और स्टेट डिपार्टमेंट का संभावित विलय
ट्रंप प्रशासन की योजना USAID को स्टेट डिपार्टमेंट में मिलाने की है, जिसे अब मार्को रुबियो चला रहे हैं। हालांकि, यह विलय तभी संभव होगा जब अमेरिकी कांग्रेस इसे मंजूरी देगी। इस निर्णय के चलते अमेरिका द्वारा 130 से अधिक देशों को दी जाने वाली वार्षिक सहायता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
USAID हर साल लगभग 40 अरब डॉलर की सहायता वितरित करता है, जिससे यूक्रेन, इथियोपिया, जॉर्डन, कांगो, सोमालिया, यमन और अफगानिस्तान जैसे संघर्षग्रस्त देशों को महत्वपूर्ण मानवीय सहायता मिलती थी। इस छंटनी और संभावित विलय से इन देशों की अर्थव्यवस्था और लोगों की सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
कर्मचारियों पर प्रभाव: बड़े पैमाने पर टर्मिनेशन नोटिस जारी
सूत्रों के अनुसार, कई कर्मचारियों को पहले ही टर्मिनेशन नोटिस मिल चुके हैं। USAID की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, 7 फरवरी की रात 12 बजे से सभी कर्मचारी प्रशासनिक अवकाश पर रहेंगे। केवल कुछ गिने-चुने अधिकारी ही अपने पदों पर बने रहेंगे।
वैश्विक प्रभाव और आलोचना
ट्रंप प्रशासन के इस कदम की अमेरिका और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में आलोचना हो रही है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला विकासशील देशों में अस्थिरता को बढ़ा सकता है और वैश्विक मानवीय संकट को और गहरा सकता है। USAID का उद्देश्य दुनिया भर में गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और आपदा राहत में योगदान देना है। इस फैसले से इन सभी प्रयासों को बड़ा झटका लग सकता है।
ट्रंप प्रशासन द्वारा USAID में की जा रही इस बड़े पैमाने पर छंटनी से वैश्विक स्तर पर मानवीय सहायता प्रभावित होगी। विकासशील देशों में चल रही कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं के ठप होने का खतरा बढ़ गया है। यह निर्णय अमेरिकी विदेश नीति और वैश्विक मानवीय सहायता की दिशा में एक बड़ा बदलाव ला सकता है, जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।
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