2025 के ग्रैमी अवार्ड्स में, 71 वर्षीय भारतीय-अमेरिकी बिजनेस लीडर और संगीतकार चंद्रिका टंडन ने अपना पहला ग्रैमी जीतकर अपनी जिंदगी के सबसे बड़े सपने को साकार किया। उनके एल्बम ‘त्रिवेणी’ को दक्षिण अफ़्रीकी फ़्लोटिस्ट वाउटर केलरमैन और जापानी सेलिस्ट इरु मात्सुमोतो के साथ मिलकर ‘बेस्ट न्यू एज, एम्बिएंट या चैंट एल्बम’ की श्रेणी में सम्मानित किया गया। यह मील का पत्थर उनके लिए केवल एक संगीतकार के रूप में ही नहीं, बल्कि एक प्रेरणास्त्रोत के रूप में भी है, जिन्होंने अपने कॉर्पोरेट पावरहाउस से निकलकर एक प्रसिद्ध कलाकार के रूप में खुद को साबित किया है।
संगीत से जुड़ी जड़ें और प्रारंभिक जीवन
चंद्रिका टंडन का जन्म 1954 में चेन्नई में हुआ। वे एक ऐसे परिवार में पली-बढ़ी थीं जहाँ संगीत का गहरा प्रभाव था। उनकी माँ एक प्रतिभाशाली संगीतकार थीं, और यही कारण था कि चंद्रिका का संगीत के प्रति प्रेम स्वाभाविक था। एक पारंपरिक तमिल परिवार में पली-बढ़ी चंद्रिका ने समाज की सीमाओं को तोड़ते हुए शिक्षा की ओर अपने कदम बढ़ाए। उनकी माँ और दादा के समर्थन से ही उन्हें मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिला, जिससे उनका जीवन बदल गया।
व्यवसाय में सफलता का सफर
चंद्रिका का शैक्षिक सफर केवल एक सामान्य छात्रा के रूप में नहीं था। उन्होंने भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद (IIM-A) में अपनी कक्षा में एकमात्र महिला के रूप में दाखिला लिया और अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से शानदार शुरुआत की। इसके बाद, उनकी यात्रा का नया अध्याय तब शुरू हुआ जब वे मैकिन्से एंड कंपनी में भागीदार बनने वाली पहली भारतीय-अमेरिकी महिला बनीं।
आज चंद्रिका न्यूयॉर्क में अपने पति रंजन टंडन के साथ रहती हैं और टंडन कैपिटल एसोसिएट्स की अध्यक्ष हैं, जो 40 से अधिक वैश्विक वित्तीय संस्थाओं को सलाह देती है। उनके योगदान ने न केवल व्यवसाय जगत में बल्कि समाज सेवा के क्षेत्र में भी उनकी पहचान बनाई है।
समाज सेवा और शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता
चंद्रिका का दिल समाज सेवा के लिए हमेशा से बड़ा रहा है। अपने पति के साथ मिलकर उन्होंने NYU को 100 मिलियन डॉलर का दान दिया, जिसके कारण NYU टंडन स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग का नाम उनके नाम पर रखा गया। वे कृष्णमूर्ति टंडन फ़ाउंडेशन की प्रमुख भी हैं, जो शिक्षा और सामाजिक कार्यों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
संगीत के प्रति समर्पण
चंद्रिका के लिए संगीत केवल एक शौक नहीं था, बल्कि यह उनके जीवन का अहम हिस्सा था। अपने गैर-लाभकारी संगीत लेबल, सोल चैंट्स म्यूज़िक के माध्यम से, उन्होंने कई एल्बमों को रिलीज़ किया, जिनमें ‘सोल कॉल’, ‘सोल मार्च’, ‘सोल मंत्र’, ‘शिवोहम – द क्वेस्ट’ और ‘अम्मूज़ ट्रेज़र्स’ शामिल हैं। उनका 2011 का डेब्यू एल्बम ‘सोल कॉल’ ने उन्हें ग्रैमी नामांकन दिलाया और यह उनके संगीत में समर्पण और भावनाओं की गहरी झलक को दर्शाता है।
उनकी ग्रैमी जीत यह साबित करती है कि चाहे आप किसी भी उम्र के हों, अपने सपनों का पीछा करना कभी देर नहीं होता।
इंद्रा नूयी और चंद्रिका टंडन: दो बहनों की प्रेरणादायक जोड़ी
चंद्रिका की उपलब्धियाँ उनकी बहन, इंद्रा नूयी की उपलब्धियों से भी मेल खाती हैं। इंद्रा नूयी पेप्सिको की पूर्व सीईओ और चेयरपर्सन रही हैं, और भारत की सबसे प्रभावशाली महिलाओं में से एक मानी जाती हैं। दोनों बहनें भारतीय-अमेरिकी महिलाओं के लिए आदर्श बन चुकी हैं, जिन्होंने व्यवसाय, नेतृत्व और कला में उत्कृष्टता प्राप्त की है।
अंतिम विचार
चंद्रिका टंडन की यात्रा हमें यह सिखाती है कि जीवन में कोई भी सपना बड़ा नहीं होता। उनके प्रयासों ने साबित किया है कि जुनून, समर्पण और कठिनाईयों के बावजूद, हम किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर सकते हैं। चाहे वह व्यवसाय हो, समाज सेवा हो या संगीत, उनकी कहानी हर किसी के लिए प्रेरणा है कि जीवन में सफलता और संतोष पाने के लिए हमेशा खुद पर विश्वास रखना चाहिए।
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