अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर मतदान जारी है। इस बीच समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए एक तस्वीर साझा की है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारी मतदाताओं के आईकार्ड की जांच कर उन्हें डराने का प्रयास कर रहे हैं। इस दावे के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई और प्रशासन ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी।
अखिलेश यादव का आरोप
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक तस्वीर पोस्ट की, जिसमें उन्होंने लिखा, “चुनाव आयोग तुरंत इस समाचार से जुड़ी तस्वीरों का संज्ञान ले कि अयोध्या की पुलिस मिल्कीपुर में मतदाताओं के आईडी कार्ड चेक कर रही है, जिसमें पुलिस के बड़े अधिकारी भी शामिल हैं। यह अप्रत्यक्ष रूप से मतदाताओं में भय उत्पन्न करके मतदान को प्रभावित करने का लोकतांत्रिक अपराध है। ऐसे लोगों को तुरंत हटाया जाए और दंडात्मक कार्रवाई की जाए।”
उनका आरोप था कि पुलिस प्रशासन मतदाताओं को डराकर निष्पक्ष मतदान में बाधा डालने की कोशिश कर रहा है।
पुलिस की सफाई
इस आरोप के जवाब में अयोध्या जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) राजकरन नय्यर ने बयान जारी कर कहा कि सपा अध्यक्ष द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि पुलिस मतदाताओं के आईडी कार्ड चेक नहीं कर रही है। एसएसपी ने कहा, “कुछ राजनीतिक दलों की ओर से यह आरोप लगाया जा रहा है कि अयोध्या पुलिस मतदाताओं के पहचान पत्र की जांच कर रही है। यह पूरी तरह गलत है। अफसरों ने राजनीतिक दलों के एजेंटों से बातचीत की और उनकी शिकायतों का समाधान किया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीर भ्रामक है।”
राजनीतिक सरगर्मियां तेज
इस मामले के तूल पकड़ने के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं देनी शुरू कर दी हैं। समाजवादी पार्टी का कहना है कि इस तरह की घटनाएं लोकतंत्र के लिए खतरा हैं और चुनाव आयोग को इस पर संज्ञान लेना चाहिए। वहीं, प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि चुनाव पूरी तरह स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से संपन्न हो रहा है और किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं की जा रही है।
चुनाव आयोग की भूमिका
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग इस मामले में क्या कदम उठाता है। आमतौर पर इस तरह के आरोपों की जांच कराई जाती है और जरूरत पड़ने पर कार्रवाई भी की जाती है।
मिल्कीपुर विधानसभा सीट का यह उपचुनाव पहले से ही राजनीतिक दलों के लिए प्रतिष्ठा का विषय बना हुआ है। ऐसे में पुलिस पर लगे इस तरह के आरोप चुनाव प्रक्रिया को और अधिक संवेदनशील बना देते हैं। अब यह प्रशासन और चुनाव आयोग की जिम्मेदारी बनती है कि निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करें और किसी भी प्रकार की आशंका को दूर करें।
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