लगातार बढ़ती महंगाई के साथ ही साथ सरसों तेल के दाम में भी उतार-चढ़ाव दर्ज किया जा रहा है। ऐसे में एक बार फिर से खाद्यान्न तिलहन के दामों में गिरावट दर्ज की गई है। सस्ते आयातित खाद्य तेलों से बाजार के फटे होने की वजह से लगातार तेलों के दाम में कटौती हो रही है। अधिकांश लोगों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य आनी एमएसपी से भी कम दाम हो गए हैं।
ऐसे में सरसों, मूंगफली और सोयाबीन तेल तिलहन और कच्चा पाम तेल और पामोलिन बिनौला तेल की कीमतों में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है। इसी वजह से शनिवार की रात शिकागो श्रेणी में 1.5% पर बंद हुआ।
लगातार घट रहा तेल का दाम
बता दें कि लगातार तेल के दाम में बढ़ोतरी होती जा रही है। वहीं अमेरिका में पिछले साल निर्यात कम होने की वजह से सोयाबीन के स्टॉक बढ़ रहा था। इस साल 10 दिन में भी सोयाबीन की बंपर फसल हुई है। जिसकी वजह से बंदरगाहों पर बहुत ज्यादा माल रखा हुआ है। किसानों को जबरदस्त नुकसान हो रहा है और तेल के दाम लगातार गिरते जा रहे हैं।
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तेल के दाम गिरने से किसान हैं परेशान
बता दें कि तेल के दाम गिरने से किसान परेशान हैं। उन्हें पेराई तक की कीमत नहीं मिल पा रही है और खाद्य तेलों के सस्ते पद से उन्हें लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिसकी वजह से उन्हें बहुत नुकसान हो रहा है। वहीं एमआरपी की आड़ लेकर ग्राहकों से अधिक पैसा दुकानदार वसूल रहे हैं। जबकि तेल का दाम बहुत ही ज्यादा कम हो चुका है।
सूरजमुखी के तेल का दाम लगभग 8 महीने पहले के मुकाबले आधे से भी कम रह गया है। 8 मिनट पहले लगभग सूरजमुखी का दाम ₹200 लीटर था। जो कि अब घटकर ₹89 लीटर हो गया है।
जानकारों के मुताबिक घरेलू तिलहन किसानों और तेल उद्योग को बचाने के लिए आयातित खाद्य तेल पर अधिक से अधिक आयात शुल्क लगाने की जरूरत पड़ सकती है क्योंकि तिलहन किसानों को बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है।
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