Bareilly News: 30 साल से रो रहे है, आज़म खां हर चुनाव से पहले वही करते हैं : मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी

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उनका पुराना तरीका है वोटिंग से 8 दिन पहले गलियों में आंसू बहाने का
Bareilly News:  आला हजरत दरगाह से जुड़े और मुस्लिम जमात ए मुस्तफा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि आज़म खां 30 साल से रो रहे है। उनका पुराना तरीका है कि वोटिंग से 8 दिन पहले गली गली में आंसू बहाने लगते हैं। उनको मेरी सलाह है कि अब खुदा से तौबा करें और गुनाहों से माफी मांगे। उसके बाद राजनीति छोड़ दे। इसी में उनकी भलाई है।
बरेली की दरगाह आला हजरत से जुड़े संगठन आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने रामपुर में हो रहे मध्यावधि चुनाव पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी के नेता आज़म खां को करीब 30 साल से जानता हूं। उनका ये पुराना तरीका है। चाहे वो विधानसभा का चुनाव हो या लोकसभा का। वोटिंग से चंद दिनों पहले गली गली और गांव गांव जाकर आंसू बहाने लगते हैं। रो-रो कर व दुहाई देकर जनता से वोट मांगते हैं। जो लोग भी आजकल उनको देख रहे हैं, वो लोग ताज्जुब और अचम्बे में है। वो रोते हुए जेब से रूमाल निकालते हैं। चश्मा उतार कर रुमाल से दोनों आंखें पोछते है। नये लोगों को यह देखकर हेरत होती है। पुराने लोग उनकी इन हरकतों से बखूबी वाकि़फ हैं।
मौलाना ने आगे कहा कि आज़म खां को अब ये तमाम बातें और तमाम हरक़ते शोभा नहीं देती। वो उत्तर प्रदेश में सपा के कद्दावर लीडर हैं। अब जनता की सोच और फिक्र में काफी बदलाव आ गया है। इसलिए अब आज़म खां की बातों का और उनके रोने गाने का जनता पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। उनको मेरी सलाह है कि अब वोह राजनीति छोड़ दें और खुदा को याद करने में लग जाये। उनके साथ जो कुछ हो रहा है। यह सब उनके आमाल (कर्मो) का नतीजा है। इसलिए उनको चाहिए कि अपने घर के करीब मस्जिद में पांचों वक्त की नमाज़ पढ़ने के लिए जायें। किसी दरगाह पर जाकर साहिबे मज़ार के माध्यम से खुदा की वारगाह में तौबा करे। जिन लोगों को सताया या परेशान किया है। उन लोगों के घरों पर जाकर उनसे माफी मांगे। मैं उम्मीद रखता हूं कि खुदा उनको माफ़ कर देगा।
मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने कहा कि मुस्लिम शासन के आखिरी दौर से लेकर ब्रिटिश पीरियड और सन् 2000 तक मदरसा आलिया रामपुर की इल्मी शान व शौकत पूरी दुनिया में इस तरह थी, जिस तरह आज के दौर में जामिया अज़हर मिस्र की है। मदरसा आलिया मे पढ़ने के लिए रुस के शहर समरकंद व बूखारा के अलावा अफगानिस्तान, अरब, और यूरोप व अफ्रीका के देशों से छात्र पढ़ने के लिए आया करते थे। मदरसे की लाइब्रेरी भी बहुत शानदार थी। जिसमें नादिर व नायाब किताबें पढ़ने वालों के लिए कशीश का दर्जा रखतीं थीं। मगर, अफसोस के साथ ये कहना पड़ रहा है कि आज़म खां के संरक्षण में मदरसा आलिया और उसका कुतूबखाना बर्बाद हो गया। हम इसकी बर्बादी को अपनी आंखों से देखते रहे। आज़म खां की दहशत और उनके खौंफ व डर से उलमा और मुस्लिम लीडरान खामोश तमाशाई बने रहे।
मौलाना ने कहा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को अब रामपुर आने की क्या जरूरत थी। 27 महीने तक जेल में बंद रहने वाले आजम खां को वो देखने के लिए भी न रामपुर आए। न ही सीतापुर जेल पहुंचे। जबकि उस वक्त आजम खां को अखिलेश यादव के साथ की सख्त जरुरत थी। अब अखिलेश यादव को अपने नजरिए पर मंथन करना चाहिए। जब वो मुस्लिम लिडरान के साथ हमदर्दी के लिए नहीं खड़े हो सकते हैं तो उनको मुसलमानों से ओट मंगाने का भी हक हासिल नहीं है। मौलाना ने रामपुर की जनता से अपील करते हुए कहा कि अपने मत आधिकारों का इस्तेमाल अपने जमीर की आवाज पर करें। किसी से डरने और खौफ़जदा होने की जरूरत नहीं है।


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