तुम्हारे बाल हमारी तरह लंबे तो नहीं,
पर मन चाहता कि हाथ फेरती रहूँ रुँकू नहीं।
तुम्हारी आँखें हमारी तरह समंदर तो नहीं,
पर किसी ठहरे हुए पानी की झील से कम नहीं।
तुम्हारे होंठ हमारी तरह सूर्ख गुलाब तो नहीं,
पर गुलाब में मौजूद काँटे भी तो नहीं।
तुम्हारी गर्दन हमारी तरह नाजुक तो नहीं,
पर उसमें भी मान हैं यह तो किसी से कम नहीं।
तुम्हारा शरीर हमारी तरह कोमल नहीं,
पर उससे लिपटकर रोने का जी चाहता हैं।
तुम्हारे हाथ हमारी तरह नर्म तो नहीं,
पर उसे छू कर एक विश्वास मन में आता हैं।
तुम्हें पता हैं हर लड़की एक लड़के में क्या देखती हैं?
अपने पिता का अक्श जो उनकी याद दिलाए,
जो उनकी तरह हमें सुरक्षित महसूस कराए…..!!
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