श्रीजीत मुखर्जी निर्देशित फिल्म ‘बेगम जान’ बांग्ला फिल्म ‘राज कहिनी’ का रीमेक है, जिसे श्रीजीत ने ही बनाया था. ‘बेगम जान’ आज़ादी के समय दो देशों के बीच हुए बंटवारे के दौरान के कई दर्द में से एक दर्द को बयां करती है. यह फिल्म ‘बेगम जान’ नाम की एक महिला की बहादुरी की कहानी कहती है जिसे बंटवारे या आजादी से कोई फर्क नहीं पड़ता, बस वह अपना घर सही सलामत चाहती है, जहां उसने कई बेसहारा लड़कियों को सहारा देकर अपने परिवार का सदस्य बनाया है और कोठा चलाती हैं.
फिल्म ‘बेगम जान’ में सबसे पहले दृश्य में दर्शाया गया है कि 2016 में दिल्ली में एक बस पर कुछ मनचले गुंडे एक लड़की पर हमला करते हैं, बलात्कार की कोशिश करते हैं और एक बूढ़ी महिला अजीबोगरीब अंदाज़ से उसे बचाती है और यहां से फिल्म फ्लैशबैक में जाती है, यानी फिल्म यह भी बता रही है कि जैसे कल औरतों पर अत्याचार होते थे वैसे ही आज भी अत्याचार होते हैं. यह फिल्म रेडक्लिफ लाइन के आड़े आ रही 11 महिलाओं की कहानी है।