उदासियों की छुअन
बैचेन मन
ढूंढे अपनापन
बेदर्द जमाने में.
दिल उलझा है
कुछ भी ना सुलझा है
है ढूंढ़ता सुकूं
बेदर्द जमाने में.
है ख़लिश
कहीं ना कहीं बांकी
हैं सभी पराये
बेदर्द जमाने में.
इश्क़ रुलाए
पीड़ दे जाए
तोड़ जाए दिल
बेदर्द जमाने में.
थोड़ा आहिस्ता
दिल है पिसता
दिल्लगी में
बेदर्द जमाने में.
प्रीत की ठोर
छुटती जाए
दिल लगाने से घबराए
बेदर्द जमाने में.
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