कभी धुंधला सी गईं यादें तेरी
कभी हमने ना देखा, तस्वीर को तेरी
कुछ उलझ सा गया था
तुझमें ही, बन तुझ जैसा.
जब भी देखा मैंने आईना
दिखा मुझे अश़्क
हू-ब-हू तुझसा.
वो ही आंखें
वो ही पलकें
वो ही बातें
वो ही मुलाकातें.
चाहा जब भी मैंने
कि हो जाऊं दूर तुमसे
मिलना भी चाहूं
तो ना मिलूं तुमसे
मगर अब क्या करूं दिलबर
याद आती है तेरी बातें
जाऊं तो जाऊं कहां
तुम बिन, दूर तुमसे.
वो बाहों को पकड़ तेरी
नाचना झूम कर जैसे
सावन महीने में
होती है बारिश जैसे.
निकलते वो आंसू,
नम आंखों से तेरे…
मेरे दूर जाने पर.
कभी आतीं मुस्कान,
लबों पे तेरे…
मेरे लौट आने पर.
कभी धुंधला सी गईं यादें तेरी
कभी हमने ना देखा तस्वीर को तेरी
कुछ उलझ सा गया था
तुझमें ही बन तुझ जैसा.
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