यू.पी. में मोदी आंधी आने से पहले सारे जाति के लोग अलग-अलग कोई अपने झुण्ड में, तो कोई अपनी पक्ति में खड़ा था
जैसे आपस में कोई जातिदुश्मनी हो मानो ;
और उनके अपने-अपने मुखियो ने उन्हे नियन्त्रण भी कर रखा था
लेकिन तेज आंधी से भगदड़ मच गयी कुछ साफ दिख नही पा रहा था मानो सभी अभी उड़ जाने वाले हो;
जोरदार आंधी के कारण सब इधर-उधर भागने लगे इस चक्कर में सब लोग एक में ही आके गबड़ गये
और अाँधी खत्म होने के बाद देखा गया तो सब की पक्तिंयां बिखर चुकी थी वही दूसरी ओर इस आंधी ने सबको एकजुट भी कर दिया कोई जाति भेद-भाव नही रहा है
अब आपस में लड़ना छोड़कर सिर्फ अभी तक हुये नुकसान की भरपाई कैसे हो ?
सबका ध्यान बस इसी पर था सब जुट गये इसका हल निकले में !
नतीजा ये हुआ कि आंधी जीत गयी उसने एकजुट करने
का अपना उद्देश जो पूरा कर दिया था !
जैसे बारात में सजाया गया शालाद आंधी से एक में ही गबड़ गया हो ?
विशेष :-
ये आंधी सजावट करने वाले की मेहनत बर्बाद कर देती है और शौक से खाने वाले लोगो का भी मजा खराब कर देती है न ? तो यहाँ यू.पी.कुछ ऐसा ही हुआ मोदी आंधी आने से !!