दशकों डाकुओं का गढ़ रहे पाठा में इस अधिकारी के कारण आजादी के बाद पहली बार होगा ऐतिहासिक मतदान!

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चित्रकूट/ उत्तर प्रदेश में बुन्देलखण्ड सबसे पिछड़ा इलाका माना जाता है । बुन्देलखण्ड में चित्रकूट और चित्रकूट में मानिकपुर तहसील सबसे पिछडा स्थान है । मानिकपुर तहसील पूरे उत्तर प्रदेश का सबसे पिछड़ा इलाका है । मानिकपुर का एक बड़ा भूभाग पाठा के नाम से जाना जाता है जहाँ कि हालत सबसे ज्यादा दयनीय है । आज भी यहाँ ऐसे गाँव हैं जहाँ आजादी के 70 सालों बाद भी मूलभूत सुविधाएँ नही पहुँची हैं। यहाँ सबसे ज्यादा संख्या आदिवासी जाति के लोगो की है ।

दशकों तक दस्यु प्रभावित होने का कलंक झेलने वाला ये क्षेत्र आज भी उस खौफ से पूरी तरह खुद को बाहर नही निकाल पाया है। पहले कई वर्षों तक लगातार यहाँ के चुनावों में दस्यु प्रभाव व उनका आतंक का प्रभाव देखा जाता था जिसका सीधा असर मतदान पर पड़ता था। दस्यु सम्राट ददुआ के खात्मे के बाद से यहाँ के माहौल में धीरे धीरे काफी सुधार हुआ है और अब यहाँ की आम जनता भी काफी जागरूक हो चुकी है। दस्यु खौफ के कारण बड़े पैमाने पर क्षेत्र से हो रहा लोगो का पलायन भी रुका है।

सबसे बड़ा परिवर्तन इस पाठा क्षेत्र में आगामी 23 फरवरी को दिखेगा जब ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग अपने घरों से निकलकर ‘वोट’ डालने जायेंगे। इस बार चुनाव आयोग ने ‘मतदाता जागरूकता अभियान’ जिस तेजी और मजबूती के साथ पूरे प्रदेश में चलाया है उसका सीधा असर समूचे चित्रकूट जिले में भी स्पष्ट तौर पर दिख रहा है। इसके लिये यहाँ का जिला प्रशासन विशेष रूप से धन्यवाद का पात्र है जिसका पूरा श्रेय जिले का नेतृत्व कर रहीं अब तक की सबसे सक्रीय और सशक्त जिलाधिकारी श्रीमती मोनिका रानी को जाता है।

जिलाधिकारी महोदय ने अब तक जितनी तेजी से मतदाता जागरूकता अभियान की मशाल पूरे जिले में दौड़ाई है। निःसन्देह इस बार का मतदान प्रतिशत पिछले सारे रिकार्ड तोड़ने वाला है। जिलाधिकारी श्रीमती मोनिका रानी ने चित्रकूट जिले की दोनों विधानसभा सीटों (236&237) के अधिकांश संवेदनशील व असंवेदनशील क्षेत्रों में चौपाल लगाकर क्षेत्र की जनता से सीधे रूबरू होते हुये उन्हें निडर होकर बिना किसी लोभ में आये मतदान करने का निवेदन किया। इस पूरे अभियान के दौरान पुलिस अधीक्षक महोदय ने भी पूरी सक्रियता और सजगता के साथ जिलाधिकारी महोदय का साथ दिया।

पिछले विधान सभा के चुनाव में नगरों में 34 प्रतिशत रहा है व गांव में 60 या 65 प्रतिशत इससे पता चलता है कि पढ़े-लिखे लोगों में से अनपढ़ लोगों को समझदारी ज्यादा रहती है। जिलाधिकारी श्रीमती मोनिका रानी ने सभी से अपील है कि वर्ष के अन्य त्यौहारों की तरह तैयार होकर मतदान के दिन बूथों पर जाकर मतदान करें।

पाठा क्षेत्र जहाँ एक लंबे अर्से तक डाकुओं का फरमान ही आखिरी निर्णय माना जाता था वहां इस दफे प्रशासन ने पूरी मुस्तैदी के साथ शांतिपूर्वक चुनाव सम्पन्न कराने हेतु मोर्चा संभाल रखा है। चित्रकूट की जिलाधिकारी श्रीमती मोनिका रानी ने महिला अधिकारी होने के बावजूद जिस सक्रियता एवं आत्मविश्वास के साथ अभी तक खासकर मतदाता जागरूकता के लिए कार्य किया है वो काबिलेतारीफ है। इस जज्बे को मेरा सलाम ..

अंत में आप सभी से निवेदन है कि आने वाली 23 फरवरी 2017 को होने वाले मतदान में अपने अमूल्य मत का प्रयोग करें और इस चुनाव रूपी त्यौहार को सफल बनायें।

“पहले मतदान-फिर जलपान”




लेखक: अनुज हनुमत “सत्यार्थी”

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