सूबे में चुनावी बिसात पूरी तरह से बिछ चुकी है और सभी सियासी सूरमा अपनी अपनी चालों के लिए पूरी तरह से तैयार हैं । जनता के पास वोट मांगने भी लगभग सभी जायेंगे और ये वोट विकास का रिपोर्ट कार्ड दिखा के नही बल्कि ढोंग ,प्रपंच ,वादे , बाहुबल ,धनबल, लालच ,डर-भय आदि के साथ मांगे जायेंगे । इनका कहना है कि जब पिछले 70 सालों में अभी तक के सियासी सूरमा आपको मूलभूत सुविधाएँ नही प्रदान कर पाये तो हमसे क्यों आशा करते हो!
फिलहाल पांच राज्यों के चुनावों के बीच कुछ बरसाती मेढ़को ने यह कसम खा ली है की हर मौके पर केवल ओछी राजनीति ही करेंगे चाहे वह जातिवाद की राजनीति हो क्षेत्रवाद की पर वो अब देश की अखण्डता व् संप्रभुता को खंडित करके ही दम लेंगे पर उन्हें यह नही पता की भारत माता के ऐसे सपूत भी हैं जिन्होंने मेढकों का प्रेक्टिकल अपने छात्र जीवन में कई दफे किया है इसलिए ऐसे मेढ़को से विनम्र निवेदन है की ज्यादा न उछले!
पांच सालों में जरूर एक दिन मतदान के रूप में आता है लेकिन यही दिन एक दिन आपके भविष्य को तय करता है। हमारा यही ‘वोट’ हमारी ताकत है। अब बहुत हुआ हम पर (जनता) पर अत्याचार। हमारा वोट आप (सियासी सूरमाओं) को दिन में भी तारे दिखाने भर के लिए पर्याप्त है।