दीदी तुम क्या करती हो?
तुम मेरे दोस्तों से क्यों नहीं मिलती?
परी मुझे बाहर जाना अच्छा नहीं लगता, तुम तो जानती हो ना!
मैं कुछ नहीं जानती दीदी।
स्कूल में सब मुझसे पूछते हैं कि तेरी कोई भाई या बहन नहीं हैं?
अच्छा, फिर क्या कहती हो तुम उन्हें?
मैं कहती हूँ कि मेरी भी एक प्यारी सी दीदी हैं। जो मुझसे बहुत प्यार करती हैं। मेरा बहुत ध्यान रखती हैं।
अच्छा तुमने ये सब कहा मेरे बारे में।
हाँ दीदी, सच में।
और मैंने ये भी कहा कि तुम उनसे मिलने कल जरूर आओगी।
ऐसा तुमने क्यों कहा परी?
दीदी प्लीज, मान जाओ ना! मेरे लिए। सिर्फ कल। आगे से कभी नहीं कहूँगी आपको।
चल ठीक हैं, आ जाऊंगी।
मेरी प्यारी दीदी।
अगले दिन..!!
दीदी वो आ रहे हैं मेरे दोस्त।
आने दो उन्हें।
परी तुम किस से बात कर रही हो?
अपनी दीदी से।
कहाँ हैं, तुम्हारी दीदी।
ये तो रही।
यहां तो कोई नहीं हैं।
परी देखती हैं पीछे की तरफ। वहाँ कोई नहीं होता।
परी तुम हमें पागल बना रही हो? कोई नहीं हैं यहां।
परी रोना शुरू कर देती हैं और वहाँ से चली जाती है।
घर पहुँच कर गुस्से में अपने कमरे में चली जाती हैं, यहां तक कि वो अपने पापा को भी नहीं देखती।
दीदी तुमने ऐसा क्यों किया?
तुम्हें पता हैं अब सब मुझे पागल कहेंगे।
मैं तुमसे कभी बात नहीं करूँगी।
ये सब उसके पापा देख रहे होते हैं।
उनकी आँखों से अश्क बह निकलते हैं।
परी अपनी बहन की तस्वीर से बातें करती हैं, उन्हें इसका अंदाजा था।
आज वो ये सब अपनी आँखों से देख रहे थे।
परी की माँ और उसकी बहन की मृत्यु एक महीने पहले एक आतंकवादी बम ब्लास्ट हो चुकी थी…..!!