तुम और तुम्हारा स्पर्श
प्यारी सी कोई नाजुक डाली
खुली हवा, मेंहकी मुहब्बत सी
तन-मन को छू जाये
तेरी मुस्कुराहट, फूलों जैसी
मेरा दिल जिस पर मंडराये
तुम पावन तुलसी जैसी
कुंदन सी तेरी काया
आसमां से दूर तलक
तेरी ही किरणें बिखराये
उन किरणों को जोड़ कर मैं भी
प्यार का इन्द्रधनुष हूँ बनाये
तुम मीठा जल नदी की
मैं प्यासा मुहब्बत बन
तेरे दिल के गागर से
अपने मन के आंगन की प्यास बुझाये
तेरे नैनो की बातें है मुझसे
आकर चुपके से केह जाये
सुनकर जिसे दिल ये मेरा
मंद-मंद है मुस्काये
तुम्हारी सादगी निर्मल जल जैसी
जी को मेरे पावन कर जाये
उन्हीं निर्मल जल से हूँ आज
अपने तन-मन को भिगाये.
PC: Mike Mezeul II