अब गांधी का काम नही है
कोइ सा भी नोट चलालो अपना गांधी वही खडा है
चमत्कार है सत्ता में भी गाधी के विपरीत धडा है
हम गांधी के सत्याग्रह को कालेधन में छाप रहे हैं
अब हर नोट मे गाधी बाबा घुटे हुये से हाप रहे हैं
नोट बन्द है पर गांधी की प्रतिमा उसमें पडी हुयी है
डाकू,चोर,लुटेरों की तो अभी भी नजरें गढी हुयी है
कालाधन उसमें भी गांधी, प्रभू चरणो मे चढी हुआ है
ये भारत की अर्थ-शास्त्र है देखो कितना सढा हुआ है
हर वैश्यालय,जूवा, मैखाना सब में गांधी खेल रहा है
अपना गांधी इस भारत मे देखो कितना झेल रहा है
सब गांधीवादी,गांधी चेले , नोटो पर डाका डाल रहे हैं
सभी विरोधी गांधी जी के नाम से भारत पाल रहे हैं
नोटों में छपकर भी गांधी कहा-कहा पर भटक रहा है
आजादी के प्रजातन्त्र में गांधी फांंसी लटक रहा है
माओ-वादी, आतंक-वादी, नक्सलियो के हाथ पडा है
आज नोट मे अपना गांधी हाथ जोड चुपचाप खडा है
नोट-वोट की राजनीति में हम गांधी को खींच रहे हैं
प्रजातन्त्र की मजबूरी में हम गांधी को भींच रहे है
क्यो आजादी के महा-युद्व में गांधी नगे भाग रहे थे
बापू अपनी करनी भोगो,क्यों तुम ज्यादा जाग रहे थे
हिन्दू,मुस्लिम,सिक्ख,इसाई को भी ही अपना कहते थे
अल्लाह,ईश्वर की भांषा में राम-राज्य सपना सहते थे
कौम,कबीले,जाति-पाति की हर सरिता में तुम बहते थे
बच्चो ने भी तुमको छोडा,क्यो बकरी के संग रहते थे
अब ये वही देश है, बही भेष है, नोटो में भी छपे हुये हो
इस राजनीति के टुच्चे-पन के हर नेता में खपे हुये हो
अब बिन मुद्रा के देश चलेगा,बिन बापू के काम चलेगा
इस राजनीति में किया-धरा वो,तेरा ही अन्जाम फलेगा
इस नोट-बन्दी की राजनीति में गांधी मरता देख रहा हूँ
इस प्रतिपक्ष की कूटनीति मे मै गाधी डरता देख रहा हूँ
मैं कालेधन की रणनीति में आदर्श अखरता देख रहा हूँ
मैं कवि आग हूँ गांधी को अब विनती करता देख रहा हू।।