देख कर तुम्हें लगता है मुझे,
आज फिर तुम नाराज हो मुझसे.
खयालों में मेरी हर पल हो आते
आकर मुझे तुम हो रुलाते
कभी सुन सको तो सुनो
बातें मेरी अनकही
जो करता ही रहता खयालों में तुमसे
अगर तुम्हें है लगता
मैं कहानी हूँ बुनता
तो देगी तुम्हें गवाही
ये आँखें मेरी
जो जागे हैं हर पल तेरे ही लिए
मेरे चाहतों का कभी
दो तुम शिला
ना जिया कभी तुम बिन
ना ही जी सकूँगा
बयां कर रही धड़कनें हैं जो तुमसे
गर सुन सको तो सुन लेना कभी
तुम्हें हर साँस में जीता हूँ मैं
जैसे हो जीवन नई
टूट गया है दिल मेरा
बिखरे पड़े हैं अरमां
टूट कर भी ये देखो
ले रहा सिर्फ नाम तेरा
ना सता मुझे
ना रुला मुझे
अब तो तू आ जा
इंतजार है तेरा हर पल
मुख्तसर जान जाने तक
अगर फिर भी ना मिल पाये तुम
जान मेरी जाने तक
तो तेरे लिए ही
लूंगा मैं फिर से जन्म
सिर्फ तेरे लिए ही ऐ मेरे सनम
फिर से शुरू करूंगा दास्तान-ए-मोहब्बत अपनी
जब तक ना मिल जाती मंजिल वो अपनी
कि जिसमें तुम ही रहो
ना हो दूजा कोई.