एक वक्त ऐसा आता है जब कोई व्यक्ति पिता बनता है, वो खुशी जो उनके चेहरे पर होती है ना! वो सिर्फ एक पिता ही जान सकता है. मैं मानता हूँ कि माँ, माँ होती है. एक बच्चे को वो पूरे नौ महीने अपने गर्म में रखती है. पर एक पिता अपने बच्चे को अपनी सोच और या यूं कहें अपने दिमाग में हर वक्त रखता है और सिर्फ माँ को ही नहीं पिता को भी अपने बच्चे का ख्याल हर वक्त रहता है.
“पिता “, एक ख्वाब हैं पिता, एक शान हैं पिता, बच्चों के पहले प्यार हैं पिता.
कभी सोचा है आपने कि आपके दिन भर घर से बाहर रहते हैं या जिनके घर पर रह कर ही कुछ काम कर दो पैसे कमाने के लिए कितनी मेहनत करते हैं, आखिर किसके लिए…. हम बच्चों के लिए ही ना.
अरे कभी जाकर देखो अपने पिता को कितनी मेहनत और लगन से काम करते हैं वो, जो काम वो करते हैं कर के देखो कभी या नहीं तो जहाँ वो काम करते हैं वहाँ कुछ वक्त गुजार कर देखो.
मैंने देखा है अपने पिता को उनकी दवाई की दुकान है. जैसे ही आपने पढा होगा कि उनकी दवाई की दुकान है आपके मन में विचार आया होगा कि भई दवाई की दुकान पर कौन सा भीर का काम होता है…है ना.
मैंने शुरुआत में ही कहा था, कृप्या देकर पढें. मैंने माना कि दवाई दुकान पर भीर का कोई काम नहीं होता पर जिस जगह या यूं कहें जिस कुर्सी पर वो बैठे होते हैं ना अगर मुझे बिठा दिया जाये तो मैं दो घंटे क्या दो मिनट भी नहीं बैठ पाउँगा क्योंकि एक ही जगह पर आप बैठ कर उब जाओगे, लेकिन वो लगातार ही बैठे रहते हैं, किसके लिए…हम बच्चों के लिए ही ना.
मैं शुक्रगुज़ार हूँ #CommonPick का जिन्होंने मुझे ये बताने का मौका दिया और शुक्रगुज़ार हूँ मैं उपर वाले का जिन्होंने मुझे पिता स्वरूप भेंट प्रदान की.
आखिर में कुछ पंक्तियाँ मैं पिता को भेंट करना चाहूँगा.
“पापा”
जिसने मुझे सबसे पहले जाना,
वो आप हो.
जिसे हर वक्त फिक्र है मेरी,
वो आप हो.
जिसे हमेशा से कद्र है मेरी,
वो आप हो.
जो मेरे बिन बोले समझ जाये,
वो आप हो.
जिसे हर वक्त मेरी तलाश है,
वो आप हो.
जिसके हर डाँट में भी प्यार है,
वो आप हो.
मेरे हर कदम पर जो साथ दे,
वो आप हो.
जिसने मेरी हर ख्वाहिश पूरी की,
वो आप हो.
मुझे हर खुशी जिनसे मिली,
वो आप हो.
आज मैं जो कुछ भी हूँ,
वो आप हो.
ईश्वर से भी जो पहले आये,
वो आप हो.