एक प्रसिद्ध चुटकुला है कि एक डॉक्टर ने एक गिलास दारू में एक कीड़ा डाला और थोड़ी ही देर में कीड़ा मर गया तो डॉक्टर ने अपने मरीजों से जानना चाहा कि इससे क्या सीख मिली? सभी मरीज एक स्वर में बोले कि डॉक्टर साहब, दारू पीना अच्छी बात है, इससे पेट के सारे कीड़े मर जाते हैं।
इसका एक और आशय यह भी निकला कि कीड़े मरते हैं तो दारू अच्छी क्वालिटी की है। बस हर वस्तु को देखने का नजरिया सकारात्मक होना चाहिए। खूबियों की कमी नहीं है। हर खराब से खराब वस्तु में भी गुण देखने ढूंढने की क्षमता का विकास कर लो, समूची दुनिया खुशनुमा हो जाएगी।
अब हमारे शहर बेतिया को ही ले लीजिए। स्टेशन जाना हो और अगर समय से दो घंटे पहले नहीं निकले तो सच मानिए साहब बेतिया में बहुत कमाल का जाम लगता है ,आपकी ट्रेन निश्चित छूट जाएगी । अब क्या करिएगा सड़क अपनी है ,और उस सड़क पर अपनी गाड़ी हम जैसे चाहें वैसे खड़ी करेंगे। भाई ! बोलेगा कौन ? जिसको ज्यादा जल्दी है वह खुद ही बगल से निकल जाए या किसी को उससे भी अधिक जल्दी हो तो गाड़ी को किनारे कर के निकल जाए। अब इस गाड़ी के चक्कर में पीछे लंबा जाम तो लगना तय है। कोई कुछ कह भी नहीं सकता , क्योंकि उसे क्या मतलब । दूसरी बात कि जब गाड़ी सड़क पर खड़ी है तो यह तय है कि किसी न किसी बड़े आदमी की ही होगी । बड़े आदमी यानि पैसे से बड़ा या दिमाग से , ये मैं नहीं कह सकता। लेकिन इस जाम के कई सकारात्मक पहलू भी हैं ,जिसे आपकी नजरें नहीं देख पाती। इसलिये आप अपने सोचने की छमता को थोड़ा बढ़ाईये , और उस मां के बारे में सोचिए जिसने बड़े भारी मन से अपने लाल को हाथ पीले करने के बाद न चाहते हुए वापस नौकरी पर भेजा था । ट्रेन छूटने के बाद वही लाल वापस पुरानी मां और इस जमाने की नई मां के पास आ जाते हैं । जरा सोचिए, इससे अच्छा और क्या हो सकता है । एक साथ दोनों को खुशी मिलती है । एक को पुत्र का सुख तो दूसरे को पति का।
इससे भी बड़ी बात कि गुप्ता जी भोले हमारे पड़ोसी हैं लेकिन उनसे मिले कई सप्ताह हो गए थे । इस जाम के बहाने उनसे भी मुलाकात हो गई और जाम के दौरान ही किसी सेल्समैन की तरह उन्होंने करने के लिए कई नए काम सुझा दिये, हालांकि ये अपने निकम्मेपन की वजह से रोज भाभी जी से दो-चार झिड़कियां सुनते हैं और उनका मधुर प्रलाप हमारे घर तक भी पहुंचता है।
कुल मिलाकर आपके देखने का नजरिया सही होना चाहिए । आप कंधे पर अंगोछा, पैरों में चप्पल और हाथ में डंडा लिए उस बिहार पुलिस के असली चरित्र को चरितार्थ करते सिपाही जी को हड्डियों के ढांचे पर पतली मांस की चादर चढ़ाए उस नीग्रो टाइप रिक्शा चालक पर डंडा बरसाते हुए देख कर अपने मन में नकारात्मक विचार ला कर उन्हें गुरूर समझने की भूल ना करें । बल्कि यह भी गौर करें कि उसी बिहारी सिपाही ने कुछ देर पहले किसी और रिक्शेवाले से जाम के दौरान ही बड़े प्यार से भाईचारा दिखाते हुए खैनी मांग कर खाई थी। वैसे पुराने जमाने से ही खैनी भाईचारा बढ़ाने की नई कड़ी बन कर उभरी है। और इस जाम के दौरान खैनी का आदान-प्रदान जरूर होता है।
अब शहर में लगने वाला भीषण छावनी का जाम चर्चा का विषय बन जाता है। कुछ लोग अनशन करते हैं , तो कुछ लोग डिबेट फंक्शन करते हैं। हालांकि यहां भी लोगों की सोच नकारात्मक ही है। छावनी के जाम में प्रतिदिन फंसने वाले दो व्यक्तियों में जो प्रगाढ़ प्रेम उत्पन्न होता है ,वह सगे भाई से कहीं अधिक है। यह मित्रता प्रभु श्रीराम और सुग्रीव से कहीं अधिक गाढ़ी होती है ,जब दोनों के मुख से एक साथ मिले सुर मेरा तुम्हारा की तर्ज पर नेताओं के लिए अच्छी-अच्छी बातें निकलती है और नया सुर बनाती है । वहीं दूसरी ओर कड़ी धूप में पसीना काछते हुए ,अच्छे दिनों के इंतजार में जाम टूटने की राह देख रहे जुम्मन चाचा और हुरहू की ओर देखकर अपनी सोच को नकारात्मकता की ओर ना ले जाएं। उन दो जोड़ी आंखों के बारे में भी तनिक विचार करें जो इस जाम के दौरान रोज टकराती है ,और इस जाम से आंखों के जाम तक उन दो नैनों की कहानी पहुंचती है।
नेता भले ही एक दूसरे पर आरोप लगाने में व्यस्त हों लेकिन आप नेताओं को धन्यवाद दें , क्योंकि छावनी सहित पूरे शहर का यह जाम कई नए जोड़ों के प्रेम कहानी की नई इबारत भी लिख रहा है ।
तो भइया कुल मिलाकर बात यह है कि शहर के जाम को लेकर आप अपने मन में किसी तरह का नकारात्मक भाव न ले आएं ,अपने द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों को तहे दिल से धन्यवाद ज्ञापित करें । क्योंकि, यह जाम किसी मां और पत्नी को बेटे और पति का सुख दिलाता है तो वहीं दो बिछड़े हुए पड़ोसियों के मिलने का कारण बनता है। खैनी के माध्यम से भाईचारे को बढ़ाता है । यह जाम इस बात को भी साबित करता है कि दो व्यक्ति जब एक साथ जाम में फंसे हो तो किसी तीसरे का विरोध करने के लिए उनके अंदर का प्रेम जागृत हो उठता है । और सबसे बड़ी बात इस जाम से कई घर भी बस जाते हैं ,और किसी को कानों कान खबर नहीं होती। तो भैया ,अपनी सोच को नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर मोड़िये और ये समझ लीजिए कि बड़े काम का है यह जाम, और बेतिया में अगर रहना है तो आपको इस जाम का आदी होना ही पड़ेगा, इस जाम की आदत डालनी पड़ेगी।