शायद ही कोई ऐसा इंसान हो जो माता पिता के कर्त्तव्यों को चुका सके…क्योंकि जो उन्होंने हमारे लिए किया होता है उसको बस एक याद बना के ही संजोया जा सकता है।
उन्ही धुंधली यादों से आज एक तस्वीर निकाल लाया हूँ जो आज मन को बार बार कचोट रही थी…उनकी यादें आज इस खालीपन में कुछ इस तरह से उभर आयी थीं कि बस अनायास ही उनके लिए एक पत्र लिखने कि सूझी जिसे शायद मैं खुद को संभालने के लिए लिख रहा हूँ:
प्यारे पापा और माँ,
मुझे कुछ बातें कहनी है आपसे, जो आपके सामने होते हुए भी मैं ना कह सका। सोचा, चलो सामने ना सही लेकिन दिल में मेरी जो बातें है एक पत्र के माध्यम से तो कह ही सकता हूँ ।
मेरा दिल हर वक्त आप दोनों को ही याद करता रहता है, बस एक ही दुआ करता हूँ मैं खुदा से, आप दोनों ही स्वस्थ रहें। कहते हैं ना, पिता जैसा दोस्त और माँ जैसा गुरु नहीं है इस जहाँ में, आपने जो प्यार व दुलार दिया है मुझे, ऐसा ना कोई दे सकता इस जहाँ में। मुझे खुशी देने में, मुझे लायक बनाने में ना जाने कितनी ही खुशियों की कुर्बानी दी होगी आपने।
आपने मुझे जीवन जीने के कई तरीके बताये, सही और गलत का फर्क भी आपने ही मुझे बताया और वो सब बताया आपने मुझे जिसे मैं अपने शब्दों में बयां करूं तो शायद शब्द ही कम पर जाये मेरे।
आपकी यादों को, बड़े ही प्यार से मैंने मेरे दिल की आलमारी में सहेज कर रखीं है। उन सभी पलों को, जिसमें ना सिर्फ खुशियाँ ही थीं बल्कि कई गम भी थे… सारे पलों को मैंनें संभाल कर रखीं है।
कुछ लोग कहते हैं कि, बेटे को विरासत में हर वो चीज मिलनी चाहिए जो उसके माता-पिता ने अर्जे हैं। मुझे आपसे मिली हर वो प्यार, वो खुशी, हर सीख, आप दोनों के साथ बिताया हर वो पल… वो किसी विरासत से कम थोड़े ही है। जितना प्यार व दुलार आपने मुझे दिया हैं, शायद ही मैं वो सब आपको दे सकूं, पर एक कोशिश रहेगी मेरी भी कि आपको मैं एक अच्छा बेटा बन कर दिखा सकूं।
आपका प्यारा