भारत की विशाल पर्वत श्रृंखला हिमालय की गोद में बहुत सारी ऐसी जगहें हैं जहाँ जाना आपको एक अलग तरह का रोमांच देगा जिसे आपने कभी महसूस नही किया होगा।
हिमालय ही नही इसके अलावा भी बहुत सारी और भी ऐसी जगहें हैं जो आपके टेंशन से भरे जीवन को एक नही ऊर्जा देंगे।
जब भी आपको जिदंगी में ज्यादा भारीपन महसूस होने लगे तो ऐसे जगहों पे जाके आप अपने आप को फिर से एक नही ऊर्जा के साथ भर सकते हैं।
आज हम आपको ऐसी ही जगहों के बारे में बताएँगे जहाँ पे जाना सचमुच बहुत रोमांचकारी होने वाला है।
1. चादर – बर्फ से जमा हुआ रास्ता
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सपने में क्या कभी आपने देखा है कि आप बर्फ कि ज़मीं नदी पे चल रहे हो? तो यह सच हो सकता है अगर आप जांस्कर नदी जो कि हिमालय में है। जांस्कर नदी की जमीं बर्फ के ऊपर बने इन रास्तों से गहरी घाटी में बसे हुए गांवों को रास्ते जाते हैं।
2. रणथंबोर
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रणथंबोर, राजस्थान में बसे हुए घने जंगलों का इलाका है जो भारत का एक राष्ट्रीय उद्यान है जहाँ आप जाके और भी बहुत सारी जगहों का सर्वेछण कर सकते हैं। यहाँ के जंगलो के आकर्षण के अलावा पंखों वाले पछियों में बहुत सारी विविधता देखी जा सकती है।
रणथंबोर में तीन झीलों को भी देखा जा सकता है जो आपकी रणथंबोर की यात्रा को और रोमांचकारी बना देंगे।
इस तरह आप रणथंबोर में जाकर खुद को प्रकृति के बहुत ही करीब पा सकते हैं और बहुत ही रोमांचकारी अनुभव ले सकते हैं।
3. हर की दूंन घाटी
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पहाड़ों की बात हो और अगर ट्रैकिंग की बात न हो तो बात अधूरी सी लगती है। उत्तराखंड में जाने पे मन में ट्रैकिंग की बात न आना अस्वाभाविक है।
ट्रैकिंग के शानदार अनुभव के लिए 3556 मीटर की ऊंचाई पे हर की दूंन की हरियाली और बर्फ से भरी घाटियों की बात न हो तो या थोड़ा अटपटा सा लगता है।
सब्ज़ झाड़ियों, सीढ़ीदार खेतों, ग्लेशियरों, सुगंधित ऑर्किड और घास के मैदान के प्राकृतिक द्रश्य आप के मन को असीम शांति का अनुभव कराएँगे।
4. लाहौल-स्पीति घाटियां
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चारों तरफ झीलों, दर्रो और हिमखंडों से घिरी, आसमान छूते शैल-शिखरों के दामन में बसी लाहौल-स्पीति घाटियां अपने जादुई सौंदर्य और प्रकृति की विविधताओं के लिए विख्यात हैं।
स्पीति को ‘मणियों की घाटी’ भी कहा जाता है। स्थानीय भाषा में ‘सी’ का अर्थ है-मणि और ‘पीति’ का अर्थ-स्थान, यानि मणियों का स्थान। हिमाचल की इस घाटी में चूंकि कई कीमती पत्थर व हीरे आज भी मिलते हैं, अत: इसे ‘मणियों की घाटी’ का खिताब मिलना स्वाभाविक ही है।
हिंदू और बौद्ध परंपराओं का अनूठा संगम बनी हिमाचल की इन घाटियों में प्रकृति विभिन्न मनभावन परिधानों में नजर आती है। महर्षि वेद व्यास ने यहीं तपस्या की थी और संसार की प्रथम पुस्तक ‘वेद की रचना की थी। महाभारत काल में अर्जुन ने भी यहीं इन्द्रकील पर्वत की गोद में तपस्या की थी, जिस पर भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उसे पाशुपत अस्त्र दिया था।
5. औली हिल स्टेशन
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औली उत्तराखण्ड का एक भाग है। यह 5-7 किमी. में फैला छोटा सा स्की-रिसोर्ट है। इस रिसोर्ट को 9,500-10,500 फीट की ऊँचाई पर बनाया गया है। यहाँ बर्फ से ढकी चोटियाँ बहुत ही सुन्दर दिखाई देती हैं। इनकी ऊँचाई लगभग 23,000 फीट है।
जिंदादिल लोगों के लिए औली बहुत ही आदर्श स्थान है। यहाँ पर बर्फ गाड़ी और स्लेज आदि की व्यवस्था नहीं है। यहाँ पर केवल स्कीइंग और केवल स्कीइंग की जा सकती है। इसके अलावा यहाँ पर अनेक सुन्दर दृश्यों का आनंद भी लिया जा सकता है। नंदा देवी के पीछे सूर्योदय देखना एक बहुत ही सुखद अनुभव है।
6. खज्जियार, हिमाचल प्रदेश
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खजिहार ‘मिनी स्विट्ज़रलैंड’ व ‘मिनी गुलमर्ग’ के नाम से जाना जाता है। यहाँ प्रकृति पूरे शबाब पर दिखाई देती है। यहाँ एक तश्तरीनुमा झील है,जो 1.5 किलोमीटर लम्बी है। सर्दियों में खजिहार जब बर्फ का दुशाला ओढ़ता है, तो यहाँ की खूबसूरती सैलानियों पर गजब ढहाने लगती है।
यहाँ झील किनारे पहाड़ी शैली में बना एक मंदिर भी है, जिसमे नाग देवता की प्रतिमा स्थापित है। खजिहार में ठहरने के लिए डाक बंगले व रेस्ट हाउस भी हैं जहाँ कोई भी ठहर सकता है। यह पर्यटक स्थल छोटा भले ही है लेकिन लोकप्रियता में बड़े-बड़े हिल स्टेशनों से कम नहीं है।
7. दूधसागर वॉटरफॉल – गोवा
दूधसागर झरना गोवा-कर्नाटक की सीमा के पास मांडवी नदी पर स्थित एक जलप्रपात है। दूधसागर शब्द का अर्थ है ‘दूध के सागर’। यह झरना विश्व के सुंदर और लोकप्रिय झरनों में से एक है।
यह झरना पणजी से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दूधसागर झरना सबसे ऊँचे झरनों की सूची में भारत में 5 वें और विश्व में 227वें स्थान पर है। इस झरना की ऊँचाई 310 मीटर और औसत चौड़ाई 30 मीटर है। दूधसागर झरना मानसून के दौरान पर्यटकों को ज़्यादा आकर्षित करता है।
8. लोनावला
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महाराष्ट्र के पुणे जिले का एक बहुत ही खूबसूरत हिल स्टेशन है समुद्रतल से 624 मीटर की ऊंचाई पर बसे लोनावला की सुंदरता देखते ही बनती है। लोनावला की उत्पति ‘लेन’ और ‘अवली’ शब्द से हुई मानी जाती है जिसमें ‘लेन’ का अर्थ ‘पत्थरों को काटकर बनाया गया ‘आश्रय स्थल’ है और अवली का अर्थ है ‘श्रृंखला’। लोनावला की खोज 1871 में हुई। लोनावला की खोज का श्रेय बॉम्बे प्रेसीडेंसी के तत्कालीन गवर्नर लॉर्ड एलफिंस्टन को जाता है। लोनावला किसी समय यादववंश का एक हिस्सा था। मुगलों ने भी इसे लंबे समय तक अपने कब्जे में रखा। यहां स्थित प्राचीन इमारतें और किले इस बात की गवाही देते हुए प्रतीत होते हैं।
लोनावला की गुफाएं भी अद्वितीय हैं। खासकर कारला और भाजे तथा बेडसा जैसी पुरातन गुफाएं तो खासा महत्व रखती हैं। कारला गुफा अत्यंत पुरातन एवं ऐतिहासिक गुफा है। इसका निर्माण ईसा से 160 वर्ष पहले का माना जाता है। कारला गुफा में भारतवर्ष की विशालतम चैत्य गुफा का समावेश है। यहां पर बुद्धकालीन स्थापत्य कला चरम सीमा पर है। इस गुफा में खंभों पर बनाई गई अनेक कलाकृतियां स्थापत्य कला का बढ़िया उदाहरण हैं। साथ ही यहां पर काष्ठ से बना एक मंदिर भी है जिसकी आकृति कैथेड्रल से मिलती है। यहां पर भगवान शिव की एक विशाल प्रतिमा भी है।
9. कोरल चट्टान, लक्षद्वीप
लक्षद्वीप खूबसूरत द्वीपों, विदेशी समुद्र तटों, प्रवाल भित्तियों, नीली झील और पानी के खेल का एक आदर्श संयोजन है। कवरत्ती, कलपेनी, मिनीकॉय और कडमाथ के द्वीप अच्छी तरह से अपनी प्रवाल भित्तियों के दौरे और अन्य आकर्षण के लिए प्रसिद्ध हैं।
10. राजमाची
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राजमाची मुंबई के पास सह्याद्रि में एक छोटा सा गाँव है | यहाँ पर छत्रपति शिवाजी द्वारा सत्रहवीं शताब्दी में बनाये गए दो सुन्दर किले हैं | यह मुंबई और पुणे के बीचे के घाट (भोरघाट ) से जाने वाले व्यापारिक मार्ग पर नियंत्रण रखने की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण थे | राजमाची दो रास्तों से पहुंचा जा सकता है , कर्जत से और लोनावाला से |
लोनावाला से रास्ता लम्बा है (करीब २० किलोमीटर ) और कर्जत से थोडा छोटा (करीब १३ किलोमीटर ) परन्तु कठिन ट्रेक है | कोंडाना गुफाएं कर्जत वाले रास्ते से जाने पर बीच में पड़ती हैं |
कोंडाना गुफाएं बौद्ध हीनयान शैली में बनी हुई बहुत सुन्दर गुफाएं हैं | एक विशाल चट्टान की तलहटी में स्थित इन गुफाओं के सामने बहता झरना इनकी सुन्दरता को और बढा देता है|